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B R Ambedkar - Jayanti

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बाबासाहेब नाम से विख्यात महान व्यक्तित्व वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की आज जयंती है। अपने संपूर्ण जीवन को एक कुशल व संगठित समाज बनाने के लिए अर्पित कर देने वाले बाबा साहेब का यह समाज सदैव ऋणी रहेगा। हमेशा समानता के पक्षधर रहे अंबेडकर ने दलित समाज को हाशिए की जमीन से उठा कर बराबरी का दर्जा दिया।  बापू ने तो 1930 में सत्याग्रह शुरू किया था पर बाबासाहेब ने 1927 में महाड सत्याग्रह छेड़ दिया था। संविधान निर्माता के रूप में हो....दलित समुदायों के नेताओं......रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्माण में मुख्य प्रेरणा स्रोत हो या एक विचारक......सभी रूपों में बाबासाहेब ने एक राष्ट्र के प्रति सच्चे नागरिक की भांति अहम भूमिका निभाई। मजदूरों के मसीहा के रूप में उन्होंने श्रमिकों के कार्य करने के समय को निर्धारित करने का कानून बनाया ताकि इस वर्ग का शोषण ना हो। आज के कुटिल समाज पर उनके शब्द कड़ा प्रहार करते हैं उन्होंने लिखा था कि "शिक्षा तभी पूरी होती है जब उससे बराबरी का ज्ञान होता है जहां ऊंच-नीच का ज्ञान आए वह अज्ञानता है" आज समाज में धर्मों के आपसी टकराव से  मनुष्य के मध्य वैचारिक म...

भारतीय ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और उसकी समस्याएं

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ट्रांसपोर्ट व्यवस्था किसी भी देश के लिए उसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ट्रांसपोर्ट व्यवस्था का होना देश को गतिशील बनाता है क्योंकि सम्पूर्ण आवागमन इसी पर आधारित होता है। परिवहन व्यवस्था के महत्व और उसके समक्ष खड़ी समस्याओं के बारे में जानने से पूर्व यह बेहद जरूरी है कि हम परिवहन व्यवस्था को समझें। परिवहन व्यवस्था से आशय यातायात संबंधी सभी व्यवस्थाओं से है अर्थात ऐसी व्यवस्था जिसकी सहायता से मनुष्य, जीव-निर्जीव तथा वस्तुए आदि एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुगमता से आ जा सकते हैं और व्यवस्था वही है जो व्यवस्थित हो। परिवहन के कई साधन होते हैं जैसे- रेल, मैट्रो, हवाई जहाज, बस, साइकिल, कार, बैलगाड़ी, नाव तथा रॉकेट आदि। जाहिर है इन परिवहनों के लिए कोई मार्ग होना भी आवश्यक है इसलिए हमारे देश में परिवहन के 4 मार्ग निम्न हैं- 1. सड़क मार्ग परिवहन 2. रेल मार्ग परिवहन 3. हवाई मार्ग परिवहन 4. जल मार्ग परिवहन सड़क परिवहन -  सड़क परिवहन के अन्तर्गत वे वाहन आते हैं जो जमीन पर चलते हों इसके मुख्य साधन में ऑटोमोबाइल को समझा जाता है। सड़क परिवहन राज्यों तथा उनकी रा...

किसान दिवस

         किसानों का मसीहा और किसान दिवस दिन- रविवार 23 दिसंबर, 2018 किसान दिवस। कृषि प्रधान देशों की सूची में सुमार भारत एक ऐसा राष्ट है जिसने विषम परिस्थितियों के बावजूद कृषि क्षेत्र में इतना विकास किया है। यदि भारतवर्ष के अतीत पर नज़र डालें तो हमें निरंतर बंदिशें ही दिखाई देती हैं। इतने वर्षों तक गुलामी की मार झेलने के बाद भी भारत ने कृषि के जरिये खुद को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बना दिया। भारत अपनी कई विशेषताओं के लिये विश्वभर में जाना जाता है। विभिन्नता में एकता के प्रतीक के रूप में पहचाने जाने वाले भारत में कई वर्ग-विशेष तथा समुदाय आदि निवास करते हैं। कृषि में अपना सहयोग देने वाले कृषक सम्प्रदाय की ही बदौलत भारत में कृषि की स्थिति बेहतर हुई थी। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है। किसान दिवस:-  भारतीय जनमानस में अन्नदाता की संज्ञा प्राप्त किसानों का यह दिवस प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2001 की अटल बिहारी वाजपेयी जी की केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। चौधरी चरण सिंह ही वे महान व्यक्ति हैं जिनकी जयंती के मौ...

घरेलू हिंसा

                          घरेलू हिंसा    घरेलू हिंसा नाम से ही अपने हिंसात्मक रूप को परिभाषित करती सी नजर आती है। आख़िर क्या है इसका अर्थ? घरेलू हिंसा शब्द का प्रयोग प्रायः विवाह के पश्चात जीवन साथी के साथ हिंसात्मक व्यवहार के लिए किया जाता है जिसमें एक अथवा दोनों संगी इसका शिकार होते हैं। घरेलू हिंसा के कई पहलू हैं। यह आज के समाज में अपने विभिन्न रूपों में पैर पसार चुकी है। घरेलू हिंसा शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक, आर्थिक तथा यौन शोषण जैसे रूपों में आज के समाज को अपनी चपेट में ले चुकी है। इन सभी चरेलु हिंसाओं में मारपीट, बलात्कार तथा मानसिक प्रताड़नाओं के जरिए साथी को शिकार बनाया जाता है। परिणामस्वरूप या तो वह पीड़ित खुद खुशी कर लेता है या अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है। कई मामलों में तो इसका दुष्प्रभाव यह तक भी होता है कि पीड़ित की मृत्यु हो जाती है। घरेलू हिंसा का शिकार कौन? घरेलू हिंसा की बात शुरू होते ही मस्तिष्क में एक ही प्रश्न अपनी कौंध छोड़ता है कि आखिर समाज का वह कौन सा वर्ग है जो इस हिंसा का सर्वाधिक श...

मलाला यूसुफजई

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              मलाला यूसुफजई पाकिस्तान के ख़ैबर-पख्तूनख्वा प्रान्त के स्वात जिले में जन्मी बहादुर लडक़ी मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 में हुआ था। आज विश्वभर में यह नाम बहादुरता की श्रेणी में शीर्ष पर विराजमान है। आख़िर कौन है यह बहुचर्चित लड़की और क्यों इसे बहादुर कहा जा रहा है? मलाला यूसुफजई पाकिस्तान की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। मलाला  जब केवल 11 वर्ष की आयु की थी तब उनके द्वारा पाकिस्तान में महिलाओं के लिए अनिवार्य शिक्षा की मांग की गई थी। मलाला जिस जिले की निवासी हैं वहाँ तालिबान ने कब्जा कर रखा था। उनकी दहसत से वहां की सभी लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था। इस वक़्त मलाला महज़ आठवीं कक्षा की छात्रा थी। उनका यह संघर्ष यहीं से शुरू हुआ। 2008 में स्वात घाटी पर तालिबान के कब्जे से वहाँ तकरीबन 400 स्कूल बंद हो गए। इस दौरान मलाला के पिता उसे पेशावर ले गए जहां उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने अपना एक मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- "हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट तो एजुकेशन?" तब वे केवल 11 वर्ष की थी। 9 अक्टूबर 2012 को जब वह स्क...

महिला आरक्षण

         महिला आरक्षण की प्रासंगिकता मुद्दा आरक्षण का या पहचान कमजोरी की? आज 21वीं सदी जिसे आधुनिक काल की श्रेणी में रखा गया है सम्पूर्ण विश्व व जनमानस विकास की राह में आगे बढ़ता जा रहा है। आज एक श्लोगन अत्यंत ही बहुचर्चित है- "बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ"। यह श्लोगन कितना सार्थक है? आज भारतीय समाज में लैंगिक असमानता को जड़ से खत्म करने के लिए सत्ता पक्ष तथा जनता पक्ष द्वारा आए दिन नए-नए कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिस देश में बेटियों को बोझ समझा जाता हो, पैदा होने से पहले मार दिया जाता हो, अपनाने से पूर्व ही पराया कर दिया जाता हो वहां लैंगिक असमानता का अपने पैर पसारना तो स्वाभाविक ही है। लैंगिक असमानता को पूर्णतः समाप्त करने के लिए  उपयुक्त हल के रूप में "आरक्षण" जैसी कुव्यवस्था का सहारा लिया जाता है। परंतु क्या यह वाकई एक उपयोगी व्यवस्था है? शायद नहीं! महिलाएं इतनी भी कमजोर नहीं कि अपने जीवन स्तर को पुरुषों के समान उठाने के लिए उन्हें आरक्षण का सहारा लेने की आवश्यकता पड़े। जहां एक ओर लड़कियों को लड़कों के समान समझा जाता है वहीं दूसरी ओर उन्हें आरक्षण दे...

सावित्री बाई फुले

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  सावित्री बाई फुले    किसने कहा साहब की भारतीय नारी कमज़ोर है? कमज़ोर तो है, मगर महिला नहीं हमारे समाज की मानसिकता। मानसिकता ही तो है जो समाज में कुरीतियों का कारक और सदाचार के भाव दोनों ही उत्पन्न कर सकती है। न नारी आज कमज़ोर है न 150 वर्ष पूर्व थी, न वह आज मजबूर है न 150 वर्ष पूर्व मजबूर थी, बस अगर वह थी तो सिर्फ चुप। नारी शिक्षा की चमक उत्पन्न करने वाली भी एक नारी ही थी जिसने अपने जीवन को लक्ष्य व उद्देश्य के भावों के साथ जीने का निर्णय लिया था। समाज सुधार करते हुए सामने आई तमाम चुनौतियों को जिसने दरकिनार कर दिया, हाँ वही थी महिलाओं के जीवन को सरल सुगम बनाने की उत्तरदायी "सावित्रीबाई"। भारतीय समाज के प्रथम कन्या विद्यालय की संस्थापक तथा प्रथम महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ। महिलाओं की स्वतंत्रता तथा अधिकारों की अहमियत को सावित्रीबाई ने 150 वर्ष पूर्व ही भांप लिया था इसलिए ही उन्होंने अपने उद्देश्यमयी जीवन में विधवा विवाह, छुआछूत, महिला मुक्ति तथा दलित महिलाओं को शिक्षित बनाने जैसे लक्ष्यों को पूर्ण किया। महिलाओं को समाज का कोई भय नहीं...

फेसबुक

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                           # फेसबुक  आज 21वीं सताब्दी के इस आधुनिक युग में एक ओर जहां संपूर्ण विश्व प्रगति और विकास की राह में आगे बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर इस प्रगति को गति देने का कार्य इंटरनेट के जरिए किया जा रहा है। मनुष्य को मनुष्य से तथा सम्पूर्ण विश्व से जोड़ने के लिए आज इंटरनेट पर अनेको सोशल साइट्स मौजूद हैं जिनमें से कुछ लोकप्रिय हैं- फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, ब्लॉग्स इत्यादि हैं। ये विभिन्न सोशल साइट्स व एप्लिकेशन अपने अपने स्तर पर अपने यूजर्स को आकर्षित करने का कार्य बख़ूबी कर रही हैं। इन सभी सोसिअल साईट्स में फेसबुक एप्लिकेशन सबसे अधिक लोकप्रिय तथा पसंद की जा रही है। इसकी लोकप्रियता का पता इस बात मात्र से लगाया जा सकता है कि इसपर सक्रिय रहने वालों की संख्या प्रति माह 2.07 अरब है। आखिर क्यों ये एप्लिकेशन बाकी सोशल साइट्स से अधिक लोकप्रिय है इसका पता लगाने के लिए हमे निम्नलिखित तथ्यों को जानना होगा जो इसे पसंदीदा बनाने का कारण बने हुए हैं। फेसबुक एप्लिकेशन के माध्यम से सभी यूजर्स अपनी पोस्ट क...

नारी सशक्तिकरण।

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नारी सशक्तिकरण क्या है?           नारी सशक्तिकरण से आशय महिलाओं में उस क्षमता व योग्यता की मौजूदगी से है जिससे वे अपने जीवन से जुड़े सभी नीजि निर्णयों को स्वंय बिना किसी पारिवारिक दबाव के ले सकती हो। भारत में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता:-      भारत, यह वही देश है जो सम्पूर्ण विश्व में अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए तथा विभिन्नता में एकता के रूप में चिन्हित किया जाता है। मुख्यतः भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इस लिए पड़ी क्योंकि प्राचीन भारत में महिलाओं के साथ सती प्रथा, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा आदि प्रताड़ित करने वाली कुरीतियों में बढ़ोतरी होती रही थी। बदलते समय के साथ यह जरूरी हो गया कि इन कुरीतियों को खत्म करके महिला सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार किया जा सके। लैंगिक असमानता भारत जैसे पुरूष प्रधान देश में एक मुख्य सामाजिक मुद्दा  है, जिसके कारण महिलाएं पुरुषों के प्रभुत्व में पिछड़ती जा रही है। महिलाओं को पुरुषों जे बराबर लाने के लिए नारी सशक्तिकरण में ते...

लैंगिक समानता

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                     लैंगिक समानता लैंगिक समानता क्या है? आखिर क्यों यह किसी भी समाज और राष्ट्र के लिए एक आवश्यक तत्त्व बन गया है? क्या बदलते समाज में यह प्रासंगिक है? लैंगिक समानता का अर्थ यह नहीं की समाज का प्रत्येक व्यक्ति एक लिंग का हो अपितु लैंगिक समानता का सीधा सा अर्थ समाज में महिला तथा पुरुष के समान अधिकार, दायित्व तथा रोजगार के अवसरों के परिप्रेक्ष्य में है। जिस प्रकार तराजू में दोनों तरफ बराबर भार रखने पर वह संतुलित होता है ठीक उसी तरह किसी भी समाज व राष्ट्र में संतुलन बनाने के लिए जरूरी है की वहाँ पुरुषों तथा स्त्रियों के मध्य लैंगिक समानता स्थापित की जानी चाहिए। आज आधुनिकता की जीवन शैली को अपनाने के बावजूद भारतीय समाज लैंगिक समानता के मामले में इतना पिछड़ा हुआ है। सही मायनों में देखा जाए तो लैंगिक समानता का न होना ही समाज मे असंतुलन और अपराध को जन्म देता है।               यह बहुत जरूरी है कि हर क्षेत्र में चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, रोजगार हो, अवसर या अधिकार हो हर छेत्र में ...