घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा नाम से ही अपने हिंसात्मक रूप को परिभाषित करती सी नजर आती है। आख़िर क्या है इसका अर्थ? घरेलू हिंसा शब्द का प्रयोग प्रायः विवाह के पश्चात जीवन साथी के साथ हिंसात्मक व्यवहार के लिए किया जाता है जिसमें एक अथवा दोनों संगी इसका शिकार होते हैं। घरेलू हिंसा के कई पहलू हैं। यह आज के समाज में अपने विभिन्न रूपों में पैर पसार चुकी है। घरेलू हिंसा शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक, आर्थिक तथा यौन शोषण जैसे रूपों में आज के समाज को अपनी चपेट में ले चुकी है। इन सभी चरेलु हिंसाओं में मारपीट, बलात्कार तथा मानसिक प्रताड़नाओं के जरिए साथी को शिकार बनाया जाता है। परिणामस्वरूप या तो वह पीड़ित खुद खुशी कर लेता है या अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है। कई मामलों में तो इसका दुष्प्रभाव यह तक भी होता है कि पीड़ित की मृत्यु हो जाती है।
घरेलू हिंसा का शिकार कौन?
घरेलू हिंसा की बात शुरू होते ही मस्तिष्क में एक ही प्रश्न अपनी कौंध छोड़ता है कि आखिर समाज का वह कौन सा वर्ग है जो इस हिंसा का सर्वाधिक शिकार हो रहा हो? इस प्रश्न का उत्तर भारतीय समाज की दशा देखते ही बनता है अर्थात इस घेरलू हिंसा की चपेट में समाज का महिला वर्ग आता है। आज का समाज कहने को तो 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है किंतु आज भी इस समाज पर सियासत दकियानूसी सोच की ही है। महिलाएं ही आज इस हिंसा का शिकार सर्वाधिक हो रही हैं। विवाह के बाद एक स्त्री को उसके पति व तथाकथित ससुराल वालों के हाथों इस हिंसा का शिकार बनना पड़ता है। हालाँकि इसका शिकार पुरूष व बुजुर्ग भी होते हैं किंतु उनके साथ होने वाली घरेलू हिंसा को प्रतिवेदित नहीं किया जाता और इसका कारण यह है कि ऐसा करने से उन्हें कायर व पुरुषत्वहीन मान लिया जाता है।
घरेलू हिंसा के कारण
आखिर वे कौन से कारण हैं जिनके चलते किसी परिवार में व दो संगियों के मध्य यह घरेलू हिंसा जन्म लेती है? इस प्रश्न का उत्तर भरतीत समाज की मानसिकता की वाहवाही करने वालों को करारा जवाब है। घरेलू हिंसा के अनेकों कारण हैं-
1. दहेज:- घरेलू हिंसा की जननी की संज्ञा यदि दहेज को दी जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अक्सर अधिकतर मामलों में यही एकमात्र वजह पाई जाती है हिंसा के लिए। इसमें एक पुरूष अपनी पत्नी के साथ हिंसात्मक व्यवहार करता है व उसे दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है।
2. अशिक्षित समाज:- घरेलू हिंसा के लिए यदि कोई जिम्मेदार है तो वह है हमारा अशिक्षित समाज। शिक्षित होने का तात्पर्य केवल डिग्री ले लेने भर मात्र के लिए नहीं होता अपितु समाज में व्याप्त कुरीतियों को अस्वीकृत करने से होता है किंतु खुद को साक्षर कहने वाला यह समाज आज भी कुरीतियों का पालन कर रहा है।
3. सामंजस्य की कमी/गलतफहमी:- अक्सर दो लोगों के मध्य गलतफहमी या यूं कहें कि सामंजस्य स्थापित न होने के कारण घरेलू झगड़े उमड़ते हैं तथा घरेलू हिंसा की उत्पत्ति होती है।
4. यौन संबंध:-घरेलू हिंसा के कई कारणों में से एक यह भी है। अकसर जीवन साथी का किसी तीसरे व्यक्ति के साथ यौन संबंधों की मौजूदगी का होना भी घरेलू हिंसा को उत्पन्न करता है।
5. मानसिकता:- घरेलू हिंसा क़्क़ मुख्य कारण मानसिकता भी होती है अक्सर विपरीत लिंग व संगीक प्रति मानसिकता में अहंकार, अपमान व विरोध की मौजूदगी भी घरेलू हिंसा को जन्म देती है
6. बुरी आदतें:- कई परिवारों में घरेलू हिंसा की शुरुआत पुरुष की बुरी आदतों जैसे शराब पीकर उल्टा बोलना व हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देना आदि से शुरू होती है।
घरेलू हिंसा न केवल सामाजिक कुरीति है अपितु एक कानूनी अपराध भी है। हमारे समाज में महिलाएं कई कारणों से खुद पर हो रही घरेलू हिंसा का खुल कर विरोध नहीं कर पाती तो इसकी सिर्फ दो वजहें हैं पहली की वे कानून से परिचित नहीं होती और दूसरी जो मुख्य है कि वे समाजिक दबाव के चलते खुद पर हो रहे अत्याचारों को चुपचाप सहती हैं। किंतु अब वक्त आ गया है कि महिलाओं को अपने साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ खुलकर बोलना होगा। भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक कानून उपलब्ध करवाया गया है जिसका नाम है घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005।
यह एक सामाजिक समस्या है जिसको आपने बड़ी खूबी के साथ समाज के सामने रखा है।
जवाब देंहटाएंBilkul sahi likha hai bhi
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