भारतीय ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और उसकी समस्याएं
ट्रांसपोर्ट व्यवस्था किसी भी देश के लिए उसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ट्रांसपोर्ट व्यवस्था का होना देश को गतिशील बनाता है क्योंकि सम्पूर्ण आवागमन इसी पर आधारित होता है। परिवहन व्यवस्था के महत्व और उसके समक्ष खड़ी समस्याओं के बारे में जानने से पूर्व यह बेहद जरूरी है कि हम परिवहन व्यवस्था को समझें। परिवहन व्यवस्था से आशय यातायात संबंधी सभी व्यवस्थाओं से है अर्थात ऐसी व्यवस्था जिसकी सहायता से मनुष्य, जीव-निर्जीव तथा वस्तुए आदि एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुगमता से आ जा सकते हैं और व्यवस्था वही है जो व्यवस्थित हो। परिवहन के कई साधन होते हैं जैसे- रेल, मैट्रो, हवाई जहाज, बस, साइकिल, कार, बैलगाड़ी, नाव तथा रॉकेट आदि। जाहिर है इन परिवहनों के लिए कोई मार्ग होना भी आवश्यक है इसलिए हमारे देश में परिवहन के 4 मार्ग निम्न हैं-
1. सड़क मार्ग परिवहन
2. रेल मार्ग परिवहन
3. हवाई मार्ग परिवहन
4. जल मार्ग परिवहन
सड़क परिवहन -
सड़क परिवहन के अन्तर्गत वे वाहन आते हैं जो जमीन पर चलते हों इसके मुख्य साधन में ऑटोमोबाइल को समझा जाता है। सड़क परिवहन राज्यों तथा उनकी राजधानियों को आपस में जोड़ने के साथ ग्रामीणों तक उद्यमों की पहुंच बनाने का कार्य करते हैं। कच्ची व पक्की सड़कें तथा राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क मार्ग हैं। बाइक, साइकिल, कार, ट्रक, बस, रिक्सा आदि सभी सड़क परिवहन के ही वाहन हैं। जहां बसें आमतौर पर यात्रियों को सस्ती परिवहन सेवा देने के लिए जानी जाती हैं वहीं ट्रक व टेम्पो आदि भारी वाहन माल ढोने के कार्य के रूप में चिन्हित किये जाते हैं। भारत विश्व का दूसरा ऐसा देश है जिसका सड़क जाल सबसे बड़ा है। परिवहन व्यवस्था में सड़क परिवहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते जिसका योगदान 80% है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय के अधीन यह व्यवस्था आती है।
रेल परिवहन-
रेल परिवहन के अंतर्गत रेलगाड़ी व मेट्रो रेल वाहन आते हैं। दो समांतर लोह पटरियों पर चलने वाली रेल भारत में परिवहन के लिए सबसे अधिक उपयोगी सेवा प्रदान करती है। रेल में एक इंजन होता है जो उसके पीछे जुड़े अनेक डिब्बों को खींचने का कार्य करता है। भारतीय रेल परिवहन द्वारा यात्री सेवा के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए भी सुगम सेवा प्रदान की जाती है। यह भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है। 17 जोन में बंटी भारतीय रेल का विश्व में चौथा तथा एशिया में दूसरा स्थान है। यही वह परिवहन है जहां कुल केन्द्रीय कर्मचारियों का 40% भाग कार्यरत है।
रेल मंत्रालय भारतीय रेल के निर्माण और परिवहन को नियंत्रित करता है।
हवाई परिवहन -
एक विमान अर्थात हवाई जहाज व हेलिकॉप्टर आदि को हवाई परिवहन में शामिल किया जा सकता है। इस परिवहन की खासियत ही यह है कि इसका मार्ग आकाश से होकर जाता है। जमीन से उड़ान भरकर ये विमान अपने पंखों को वायु के वेग से उड़ने के लिए तैयार करते हैं इसकी लैंडिंग और उड़ान व रख रखाव के लिए हवाई अड्डों की आवश्यकता होती है जहां से यात्रियों व सामान को उतारा व चढ़ाया जा सकता है। रॉकेट के बाद हवाई जहाज दूसरा सर्वाधिक गति वाला परिवहन समझा जाता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत में हवाई परिवहन को नियंत्रित करता है।
जल परिवहन-
यह एक ऐसी परिवहन व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जलयान अर्थात नाव, जहाज व सेलबोट आदि जल पर चलते हैं जैसे झील, महासागर, नदी समुद्र आदि। भारत के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 95% समुद्री मार्ग के माध्यम से किया जाता है। यह सुगम व अत्यंत सस्ता साधना भी माना जाता है। जहाज़रानी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जल परिवहन को नियंत्रित किया जाता है।
ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की समस्याएं व मीडिया की भूमिका -
भारत एक विकासशील राष्ट्र है जो जनसंख्या के मामले में सर्वाधिक जनसंख्या वाला विश्व का दूसरा देश है। क्षेत्रफल के मामले में भी भारत विश्व में सातवें पायदान पर आता है। मौजूदा समय में तकनीक और विकास की होड़ में हर कोई दौड़ रहा है। ऐसे में परिवहन व्यवस्था जो किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए रीढ़ का काम करती है वही भारत में अनेक समस्याओं से जूझ रही है। भारत की परिवहन व्यवस्था की समस्याएं देश की गति में भी बाधा बन रही हैं। हालांकि चारों परिवहन निगमों को उनके अलग अलग मंत्रालयों द्वारा संचालित किया जा रहा है फिर भी ये समस्याएं खत्म नहीं हो रही। मीडिया को बहुत महत्वपूर्ण स्थान हमारे समाज में ही नहीं वरन लोकतंत्र में भी दिया जाता है। परिवहन व्यवस्था की समस्याओं के संदर्भ में मीडिया किस तरह अपनी भूमिका निभाती है उसका ज़िक्र आगे किया जाएगा। इन समस्याओं को इस तरह समझने का प्रयास किया गया है-
1. खराब सड़कें -
भारतीय परिवहन व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती है खराब सड़कों की समस्या। आज देशभर के हर बड़े छोटे क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली सड़कों को देखें तो उनकी दुर्दशा देखते ही बनती है। जगह-जगह गड्डे सड़कों को मौत का कुआं बना रहे हैं। आए दिन इन गड्डों में फंसने से कई सड़क दुर्घटनाएं घट रही हैं जान-माल की हानि हो रही है। आवश्यकता है इन सड़कों के सुधार की ताकि व्यवस्था बानी रहे और लोगों को सुरक्षित व सुगम सड़कें मिल सकें। मीडिया का प्रभाव देश के डोर दराज इलाकों में होता है और यह व्यवस्था पर दबाव बनाने में भी सक्षम होता है। मौजूद परिवहन समस्याओं को मीडिया में स्थान दिया जाता है। रिपोर्टिंग के माध्यम से सभी संस्थाएं प्रशासन व संबंधित अधिकारियों पर दबाव भी बना रही हैं।
2.कमजोर बुनियादी ढांचा व बरसाती मौसम की मार-
परिवहन व्यवस्था का बुनियादी ढांचा बेहद ही कमजोर है सड़कें तंग हैं, बंदरगाह भी खुलेपन के आभाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। सड़कों की बात करें तो ये बरसाती मौसम के जरा भी अनुकूल नहीं। थोड़ी सी बारिश हई नहीं कि शहर की सड़कें डूबने लगती हैं। परिवहन व्यवस्था या तो ठप हो जाती है या फिर धीमी। वर्षा जल के निकास के लिए सड़कों पर विशेष व्यवस्था बहुत कम नज़र आती है ऐसे में सभी गड्डे पानी से ढक जाते हैं और दुपहिया वाहन तो मानो उसमें फंस ही जाता है। राजधानी दिल्ली का ही उदाहरण लिया जाए तो यहाँ की सड़कें बाद से बद्दतर स्थिति में देखने को मिल जाएंगी।
3. हाइवे पर आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का अभाव -
राष्ट्रीय राजमार्गों पर व सड़को के किनारे उचित प्राथमिक चिकित्सा, रिपेयरिंग शॉप, शौचालय की व्यवस्था, खानपान हेतु रेस्तरां आदि सुविधाओं का अभाव गाड़ी चालकों के लिए समस्या का कारण बन रहा है। इसके अतिरिक्त सड़क सुरक्षा के नियमों पर भी कठोरता से कार्य करना बाकी है जिससे यातायात नियमों का उल्लंघन न हो।
4.आधुनिकीकरण -
मौजूदा समय में भारतीय परिवहन व्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है आधुनिकीकरण का अभाव। सड़कों पर दौड़ रहे कई वाहन आउटडेटेड हैं या यूं कहें कि बुरी हालत में हैं। इन वाहनों को नई तकनीक में तब्दील करना बेहद जरूरी है क्योंकि सड़कों पर ये ना केवल दुर्घटना के रूप में खतरा हैं बल्कि प्रदूषण को लेकर भी ये बहुत दुष्प्रभावी हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के हालात इनमें ज्यादा दुर्गम व निंदनीय हैं।
5. ग्रामीण क्षेत्रों तक कम पहुंच -
भारत की आबादी का एक बहुत बड़ा भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। आज के आधुनिक युग में भी इन ग्रामीण क्षेत्रों तक परिवहन की पहुंच बेहद कम है। कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज तक पक्की सड़कें नहीं बन सकी और यदि कहीं बनी भी तो वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी ने बहुत दिक्कतें पैदा की और लगातार कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक परिवहन की कम पहुंच होने के कारण ही किसान अपनी उपज को नज़दीकी विक्रेताओं को बहुत कम दामों में बेचने को मजबूर हो जाते हैं क्योंकि साधनों की कमी के चलते वे शहरी बाज़ारों तक अपनी प्रत्यक्ष पहुंच नहीं बना पाते। परिणामस्वरूप उन्हें उनकी ऊपज का उचित मुनाफ़ा नहीं मिल पाता। ऐसी ही कई समस्याएं परिवहन व्यवस्था की अनुपलब्धता के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं जिससे कहीं न कहीं देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है।
6. रेलवे का डिले व रद्द होना -
भारत में रेलवे का एक बहुत बड़ा जाल बिछा है। रोजाना लाखों लोग इस परिवहन के जरिये आवागमन करते हैं। आए दिन बल्कि रोज़ाना ट्रेन या तो कुछ घण्टों की देरी से चल रही होती हैं या फिर उन्हें रद्द कर दिया जाता है। यह रेल परिवहन के लिये बहुत बड़ी समस्या बन गया है जिससे निजात पाना बेहद जरूरी है।
7. ट्रैफिक -
यह समस्या परिवहन की व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल उठाती है। हालांकि इस समस्या के लिए ट्रैफिक कंट्रोल करने हेतु 'रेड लाइट' सिग्नल की व्यवस्था देशभर में है पर हकीकत यह है कि इन सिग्नल लाइट्स पर और भी अधिक ट्रैफिक लगने लगता है। ट्रैफिक अपने आप में एक बड़ी समस्या है किंतु इसके साथ प्रदूषण जैसी परेशानी गंभीरता से बढ़ती जा रही है। समस्त अखबारों में प्रतिदिन कोई न कोई लेख या खबर जरूर इस संदर्भ में छपती है पर इससे न ही नागरिकों पर कोई गाज गिरती है न ही प्रशासन पर। कई अखबारों में पाठक कॉलम में भी इस इन समस्याओं का जिक्र देखने को मिल जाता है।
8. अवैध पार्किंग -
अवैध पार्किंग का नज़ारा कहीं न कहीं देखने को मिल ही जाता है। राजधानी दिल्ली के भी बहुत बुरे हालात हैं। हालांकि अख़बार लगातार ऐसी खबरें प्रकाशित कर रहे हैं किंतु इसके उपरांत भी कोई सुधार न होना दुखद है और परिवहन व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती।
इन सभी समस्याओं के बीच एक नया ऑटोमोबाइल नियम भारत में लागू हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने जिसके मुताबिक भारत में BS4 अर्थात भारत स्टेज 4 की सभी गाड़ियों की बिक्री 1 अप्रैल 2020 से बंद हो जाएगी। भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BSES) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक उत्सर्जन मानक हैं जो, मोटर वाहनों द्वारा उत्सर्जित वायु प्रदूषकों की मात्रा का विनियमन करते हैं। अब भारत में BS6 लागू किया जाएगा।
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