नारी सशक्तिकरण।


नारी सशक्तिकरण क्या है?
          नारी सशक्तिकरण से आशय महिलाओं में उस क्षमता व योग्यता की मौजूदगी से है जिससे वे अपने जीवन से जुड़े सभी नीजि निर्णयों को स्वंय बिना किसी पारिवारिक दबाव के ले सकती हो।
भारत में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता:-
     भारत, यह वही देश है जो सम्पूर्ण विश्व में अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए तथा विभिन्नता में एकता के रूप में चिन्हित किया जाता है। मुख्यतः भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इस लिए पड़ी क्योंकि प्राचीन भारत में महिलाओं के साथ सती प्रथा, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा आदि प्रताड़ित करने वाली कुरीतियों में बढ़ोतरी होती रही थी। बदलते समय के साथ यह जरूरी हो गया कि इन कुरीतियों को खत्म करके महिला सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार किया जा सके।
लैंगिक असमानता भारत जैसे पुरूष प्रधान देश में एक मुख्य सामाजिक मुद्दा  है, जिसके कारण महिलाएं पुरुषों के प्रभुत्व में पिछड़ती जा रही है। महिलाओं को पुरुषों जे बराबर लाने के लिए नारी सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरूरत है। महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो किसी भी राष्ट्र हेतु उसके विकास की राह में सबसे बड़ा अवरोधक मन जाता है।
यह महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें भी समाज में पुरुषों के बराबर ही महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। महिलाओं को न केवल घरेलू कार्यों में अपितु सभी छेत्रों में सक्रिय रहने की आवश्यकता है तथा देश में घटित प्रत्येक घटना से परिचित होने की भी जरूरत है। महिला सशक्तिकरण में यह ताकत है कि वह समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

कानूनी अधिकारों के साथ-साथ सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई अधिनियम पारित किए गए हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं- एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956, मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।
निष्कर्ष-
महिलाएं भी पुरुषों की भाँती हमारे समाज का हिस्सा हैं उन्हें भी वे सभी अधिकार मिलने चाहिए जो किसी पुरूष को मिलते हैं। आज नारी सशक्तिकरण के लिए बेटी चलाए जा रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों को बड़े स्तर तक लेजाने की आवश्यकता है ताकि नारी सशक्तिकरण के जरिये महिलाओं के जिवामे स्तर को उठाया जा सके।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लैंगिक समानता

माँ